बदलते बरस में मौसम चार मानव मन का भी यही व्यवहार! बदलते बरस में मौसम चार मानव मन का भी यही व्यवहार!
वसंत वसंत
सुसुप्त पड़ी शिराओं में प्रेम की जिह्वा खलबली मचाते तुम्हें आह्वान दे रही है. सुसुप्त पड़ी शिराओं में प्रेम की जिह्वा खलबली मचाते तुम्हें आह्वान दे रही है.
मेरे घ्राणेन्द्रिय को और क्रियाशील कर देती है। मेरे घ्राणेन्द्रिय को और क्रियाशील कर देती है।
जिन्दगी के बंद लिफाफे में, लिख दिया तेरा नाम तेरे लिए तारे तोड़कर, बना दूँ माला, तुम एक फुल कुमारी, ... जिन्दगी के बंद लिफाफे में, लिख दिया तेरा नाम तेरे लिए तारे तोड़कर, बना दूँ माला,...
जब प्रकृति प्रतीत हो खुशनुमां धरा पर खिले हर और रूप नया, प्रेम का संदेश हर और फैला ह जब प्रकृति प्रतीत हो खुशनुमां धरा पर खिले हर और रूप नया, प्रेम का संदेश ह...